देवभूमि हिमाचल प्रदेश अपने अलौकिक सौंदर्य व ऐतिहासिक परंपराओ की विशेषताओं के लिए विख्यात है 21 वीं सदी के दौर में हिमाचल प्रदेश में कई शक्तिशाली व रहस्यमयी मंदिर अपने आप में अनेकों इतिहास छुपाए हुए है ऐसा ही एक मंदिर जिला मण्डी के करसोग उपमण्डल से दूर दराज गांव नगेलङी (नजदीक कताण्ङा )-( करसोग छत्तरी – महोग – पोखी) मार्ग के पास स्थापित है इसकी मान्यता एक वृक्ष में लटके गाङियों के नम्बर प्लेट में पूजते है इस स्थान से सभी वाहन चालक शीश नवाकर जाते है व इस पेङ पर गाङियों की नम्बर प्लेट या टूटे हुए सामान को श्रद्धापूर्वक चढाते है व वाहन खराब होने और दुर्घटना आदि का खतरा नहीं रहता है।
इस पेङ में स्थित दिव्य शक्ति शीश नवाने, सामान चढाने व धूप बत्ती करने से वाहन चालक अपने को सुरक्षित समझते है यह मंदिर करसोग से लगभग 30 किलोमीटर दूर कताण्ङा के नजदीक स्थित है इस पेङ पर वनशीरा देवता का वास है (वनों,जंगलों में रक्षा करने वाला देवता) यह जंगलों व सङक मार्ग की रात्रि को पूरी तरह सुरक्षा करता है यहां के स्थानीय निवासी बताते है कि नम्बर प्लेट, टूटे कल पुर्जे को चढाने से कम होती है नुकसान व दुर्घटना होने की आशंका यहाँ वाहन चालक लोहे के टूटे कल-पुर्जे चढाते है जिससे यात्रियों की यात्रा सफल होती है व गाङी के नुकसान का भय भी नहीं रहता है व सुरक्षित अपने गंतव्य तक पहुंचने की कामना करते है चाहे छोटा बङा वाहन कोई भी गुजरे इस पेङ में धूप बत्ती किये बगैर नहीं जाता है।
टी.सी.ठाकुर
कारदार च्वासीगढ़
करसोग मण्डी हिमाचल प्रदेश
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