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Editorial/सम्पादकीय राजनीति साहित्य

नया बनाने का नही पुराने को बचाने का समय आ गया

✍️ पवन कुमार शर्मा, फिल्म निर्देशक

नया बनाने का नही पुराने को बचाने का समय आ गया। प्रकृति के साथ की गई छेड़छाड़ का नतीजा आज ग्लोबलवार्मिंग के रूप मे सामने है। पेड़ गिर रहे है, सड़के टूट रही है, पहाड़ो से पत्थर मिट्टी गिर कर सब तहस नहस कर रहे है।

सभी अपने अपने स्तर पर प्रकृति को बचाने को और समझने  समझने की कोशिश कर रहे है। डवलपमेंट उतनी ही करे जितनी जरूरत है। महत्वकांक्षा की कोई सीमा नही होती, वो तो बढ़ती ही जाएगी।

हमने भी एक जिम्मेदार फिल्मकार का कर्तव्य निभाते हुए फ़िल्म वनरक्षक बनाई। जब फ़िल्म बनाई थी तो सोचा था कि इसे स्कूलों कॉलेज और जन जन तक पहुचाया जाए। लेकिन हम अकेले पड़ गए। अपनी हिम्मत से इसे बहुत कम लोगो तक पहूँचा पाए।

प्रकृति के इस रूप को देख कर ये समझ आता है कि अब समय बहुत कुछ नया बनाने का नही बल्कि पुराने  को बचने का है। नई चौड़ी बड़ी सड़कों को बनाने के बजाए पुरानी सिंगल सड़को को बचाना है, नही तो पहले वाली भी नही रहेगी। छोटे पूरने घरों सिंगल डबल सटोरी मकानों को सुरक्षित रखना है न कि उस की जगह बहुमंजिला इमारत खड़े कर के इस सर्वनाश को आमंत्रित करने है।

इस त्रासदी के हम सब जिम्मेदार है। अब समय आ गया कि सोचना पड़ेगा कि कैसे हम इस ग्लोबलवार्मिंग की चेतावनी से बच सकते है। कैसे जन जन तक इस जागरूकता अभियान को चला सकते है कि अब नया बनाने के बजाए पुराने को बचाने की जरूरत है।

कलाकार इस अभियान मैं मुख्य भूमिका निभा सकते। पेंटिंग,डांस,नाटक और फ़िल्म बहुत सशक्त माध्यम है जन चेतना के लिए।

इसी दिशा में एक प्रयास हम भी कर रहे है। कोई भी अपने मोबाइल से या कैमरे से छोटी फ़िल्म शूट कर के हमे भेजे अगर वो हमारी टीम को लगता है कि ये इस अभियान को आगे ले जाने में सार्थक है तो इसे himachal international film festival में सलेक्ट किया जाएगा । हम उसे गांव गांव में पहुचाने का प्रयत्न करेंगे। इस तरह की फिल्मों की कोई फीस नही होगी। जिन की फ़िल्म टॉप 10 में रहेगी उन को अगली फिल्म का पोस्ट प्रोडक्शन मुम्बई में हिमाचल इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल फ्री करेगा।

बहुत से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म उत्सव में भगीदारी करने का मौका मिला तो ज्यादा तर ये पाया कि ये एक इवेंट तक सीमित रह जाता है। और ये फेस्टिवल एक खास तरह के दर्शकों तक रह जाता है। बस यही से विचार आया कि एक ऐसा फेस्टिवल करे जो मुख्य शहरों के साथ साथ गावो में भी पहूच सके।

Himachal INTERNATIONAL FILM FESTIVAL  का मुख्य स्थल हिमाचल का संस्कृति शहर मंडी रहेगा साथ में आस पास के 10 गांवों में भी फिल्मे दिखाई जाएगी।

3 अप्रैल 2024 को पर्यावरण को बचाने वाली फिल्मे।

4 अप्रैल 2024 को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इनाम प्राप्त फिल्मे जो देखने को नही मिलती।

5. अप्रैल 2024 को हिमाचली फिल्मे।

6. अप्रैल 2024 को फेस्टिवल की चयनित फिल्मे

7. अप्रैल 2024 को  समापन फ़िल्म और अवार्ड शो।

हर रोज फ़िल्म बनाने पर, फिल्मों की मार्केटिंग पर और फ़िल्म मेकर के समाज के प्रति कर्तव्य।

कैसा हो भारतीय सिनेमा? इस पर मास्टर क्लास।

✍️ पवन कुमार शर्मा, फिल्म निर्देशक

Mail id : himachaliff@gmail.com

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