Wednesday, January 8, 2025
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धार्मिक आस्था और सेवा का संगम: बेसहारा गौवंशों का सहारा

🔹️ गौ-सेवा को बढ़ावा देने की मुहिम: कुलदीप सिंह राठौर की प्रेरक पहल

🔹️ गौ-संरक्षण की मिसाल: कुमारसैन में गौशाला निर्माण पर विशेष रिपोर्ट

हितेन्द्र शर्मा, शिमला

हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के अंतर्गत आने वाले कुमारसैन उपमंडल में बेसहारा गौवंशों के लिए एक नई गौशाला का निर्माण किया जा रहा है, जो अब अपने अंतिम चरण में है। यह पहल इलाके के बेसहारा गौवंशों को आश्रय और भोजन जैसी आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने के उद्देश्य से की जा रही है। इस गौशाला का निर्माण विशेष रूप से उन गायों, बैलों और अन्य गौवंशों के लिए किया गया है, जिन्हें सड़क पर बेसहारा छोड़ दिया जाता है और जिनकी देखभाल का कोई इंतजाम नहीं है। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं ठियोग-कुमारसैन के विधायक कुलदीप सिंह राठौर ने इस महत्वपूर्ण पहल का नेतृत्व किया है और उन्होंने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि यह गौशाला जल्द से जल्द सेवा में आए।

🔹️ बेसहारा गौवंशों के संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

गौशाला का निर्माण केवल एक संरचना का निर्माण नहीं है, बल्कि यह स्थानीय लोगों की आस्था और संस्कृति से जुड़ा हुआ एक संवेदनशील कदम है। हिमाचल प्रदेश में गौवंशों को संरक्षित करना और उनकी देखभाल करना एक प्रमुख मुद्दा रहा है। बेसहारा गौवंश अक्सर सड़क पर दुर्घटनाओं का शिकार होते हैं और खाद्य एवं पानी की कमी से पीड़ित रहते हैं। ऐसे में यह गौशाला उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाई गई है। विधायक कुलदीप सिंह राठौर का कहना है कि गौशाला का कार्य पूरा होने के बाद इसे दिसम्बर से पूरी तरह से गौ-सेवा के लिए समर्पित कर दिया जाएगा।

🔹️ सुविधाएं और व्यवस्थाएं

इस गौशाला में बेसहारा गौवंशों के लिए विभिन्न प्रकार की सुविधाओं की व्यवस्था की जा रही है। यहां पर पर्याप्त जगह बनाई गई है ताकि अधिक से अधिक गौवंशों को एक साथ रखा जा सके। गौवंशों के लिए नियमित रूप से भोजन और पानी की व्यवस्था की जाएगी, जिससे उन्हें उचित पोषण मिल सके। इसके साथ ही बीमार गौवंशों के लिए चिकित्सा सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे उनकी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान किया जा सके।

इसके अलावा, गौशाला में नियमित रूप से सफाई व्यवस्था का ध्यान रखा जाएगा, ताकि गौवंशों के लिए एक स्वच्छ और सुरक्षित माहौल बनाया जा सके। इसके साथ ही, गौशाला का प्रबंधन यह सुनिश्चित करेगा कि गौवंशों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।

🔹️ रोजगार और सामाजिक सहयोग का भी मौका

इस गौशाला के निर्माण से न केवल बेसहारा गौवंशों की देखभाल का समाधान होगा, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। गौशाला के रखरखाव और प्रबंधन में स्थानीय युवाओं को शामिल किया जाएगा, जिससे उन्हें रोजगार प्राप्त हो सके। इसके अलावा, गौशाला के संचालन के लिए समाजसेवी संस्थाएं और स्थानीय लोग भी सहयोग अपील हैं। इस पहल में स्थानीय समाज का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जिन्होंने गौ-सेवा को अपना कर्तव्य मानते हुए सहयोग प्रदान किया है।

🔹️ कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं विधायक कुलदीप सिंह राठौर का योगदान

कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं ठियोग-कुमारसैन से विधायक कुलदीप सिंह राठौर ने इस गौशाला के निर्माण के लिए विशेष ध्यान दिया है। उनका कहना है कि बेसहारा गौवंशों की समस्या को देखते हुए इस तरह की सुविधाओं की सख्त जरूरत थी। गौशालाएं किसानों की मदद करने में भी सहायक हो सकती हैं, क्योंकि गायों के माध्यम से प्राकृतिक खाद और जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा सकता है।

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि गौशालाओं को केवल धार्मिक दृष्टिकोण से नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि उन्हें ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अभिन्न हिस्सा मानकर सशक्त करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस दिशा में सभी को मिलकर काम करना होगा, ताकि गौशालाएं आत्मनिर्भर बन सकें और समाज के लिए लाभकारी साबित हों, उन्होंने लोगों को गौ-सेवा के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजनों की बात भी कही है। उनके अनुसार, इस गौशाला का उद्देश्य केवल गौवंशों को आश्रय प्रदान करना नहीं, बल्कि लोगों में गौ-सेवा और गौ-संरक्षण के प्रति संवेदनशीलता पैदा करना भी है।

🔹️ स्थानीय लोगों में हर्ष की लहर

गौशाला के निर्माण की खबर से स्थानीय लोगों में खुशी की लहर है। कई लोगों का मानना है कि यह पहल उनके धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों के अनुरूप है, क्योंकि गाय को भारतीय समाज में माता का दर्जा दिया गया है। बेसहारा गौवंशों को आश्रय मिलने से अब वे सड़कों पर सुरक्षित होंगे और उनका उचित देखभाल की जाएगी।

कुमारसैन में बनाई जा रही गौशाला एक ऐसा कदम है जो न केवल बेसहारा गौवंशों को सुरक्षा प्रदान करेगा बल्कि समाज को भी एक सकारात्मक संदेश देगा। विधायक कुलदीप सिंह राठौर के नेतृत्व में इस प्रकार की पहल से क्षेत्र में एक नई उम्मीद जागी है। दिसंबर में इस गौशाला के सेवा में आ जाने के बाद बेसहारा गौवंशों की स्थिति में सुधार की उम्मीद की जा सकती है, और इससे पर्यावरण तथा समाज पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

✍️ हितेन्द्र शर्मा, शिमला

Himalayan Digital Mediahttps://www.himalayandigitalmedia.com
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